Monday, September 17, 2018

भीमा कोरेगांव केस: नज़रबंद कार्यकर्ताओं के मामले में अगली सुनवाई 19 को

भीमा कोरेगांव ​हिंसा के मामले में पांच सामाजिक कार्यकर्ताओं की गिरफ़्तारी पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई.
इस दौरान कोर्ट ने महाराष्ट्र पुलिस को आरोपियों के ख़िलाफ़ सबूत पेश करने के लिए कहा. महाराष्ट्र सरकार ने कोर्ट में कहा है कि उसके पास इस मामले में पुख़्ता सबूत हैं.
अब इस मामले में अगली सुनवाई 19 सितंबर को होगी.
देश में अलग-अलग छापों के बाद 29 अगस्त को पांच सामाजिक कार्यकर्ताओं को गिरफ़्तार कर लिया गया था. उसी दिन इस मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि ''लोकतंत्र में असहमति एक सेफ़्टी वॉल्व की तरह होती है.''
सुप्रीम कोर्ट ने सामाजिक कार्यकर्ताओं को हाउस अरेस्ट में रखने का आदेश दिया था. इसके बाद मामले में 6 सितंबर को सुनवाई हुई थी. तब कोर्ट ने हाउस अरेस्ट को बरकरार रखने के आदेश दिए थे.
ये मामला इस साल जनवरी में हुई भीमा कोरेगांव हिंसा से जुड़ा है. महाराष्ट्र पुलिस ने पांचों कार्यकर्ताओं के नक्सलियों से संबंध होने का आरोप लगाया है.
गिरफ़्तारी के बाद पुलिस ने एक प्रेस कॉन्फ़्रेंस की थी जिसमें दावा किया गया था कि माओवादी संगठन एक बड़ी साज़िश रच रहे हैं.
प्रेस कॉन्फ़्रेंस के दौरान महाराष्ट्र पुलिस ने मीडिया के सामने कई पत्र भी पढ़े जिसके ज़रिए यह बताया गया कि ये सभी सामाजिक कार्यकर्ता माओवादी सेंट्रल कमेटी के संपर्क में थे.
पुलिस ने यह आरोप भी लगाए थे कि इन कार्यकर्ताओं के संपर्क कश्मीर में मौजूद अलगाववादियों से भी हैं.
इसके बाद गिरफ़्तार सामाजिक कार्यकर्ताओं में से एक वरिष्ठ वकील सुधा भारद्वाज ने अपनी वकील वृंदा ग्रोवर के ज़रिए एक चिट्ठी सार्वजनिक की और पुलिस के लगाए तमाम आरोपों को निराधार बताया था.
बॉम्बे हाई कोर्ट ने प्रेस कांफ्रेंस को लेकर महाराष्ट्र पुलिस को फटकार भी लगाई थी. दरअसल, हाईकोर्ट ने सामाजिक कार्यकर्ताओं की गिरफ़्तारी के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस करने पर नाराज़गी जाहिर की थी.
अमूमन योगगुरु बाबा रामदेव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के फ़ैसलों को सराहते नज़र आते हैं लेकिन अब उन्होंने महंगाई को लेकर सरकार पर सवाल खड़ा किया है.
रामदेव ने रविवार को कहा कि देशभर में अगर महंगाई को जल्द ही क़ाबू नहीं पाया गया तो अगले आम चुनाव में मोदी सरकार के लिए यह महंगा साबित होगा.
रामदेव ने यह भी कहा कि वो 2019 में बीजेपी के पक्ष में चुनाव प्रचार नहीं करेंगे जिस तरह उन्होंने 2014 में सक्रियता से प्रचार किया था.
उन्होंने ये बातें एक चैनल के कार्यक्रम में बीजेपी के चुनाव प्रचार से जुड़े सवाल पर कहीं. उन्होंने कहा कि पीएम मोदी की आलोचना करना उनका मूलभूत अधिकार है.
हालांकि, रामदेव ने ये भी कहा कि प्रधानमंत्री ने काम भी किया है और स्वच्छता अभियान में किसी तरह का भ्रष्टाचार नहीं होने दिया है.
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की सोमवार से तीन दिवसीय परिचर्चा शुरू हो रही है. इस कार्यक्रम में कई जानेमाने लोगों के हिस्सा लेने की संभावना है.
कार्यक्रम का शीर्षक 'भविष्य का भारत: आरएसएस का दृष्टिकोण' है. वैसे यह कार्यक्रम शुरू होने से पहले ही ख़बरों में छा गया था.
इस तरह की ख़बरें आई थीं कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, माकपा महासचिव सीताराम येचुरी और समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव को आयोजन में शामिल होने का आमंत्रण दिया गया है.
लेकिन, तीनों में से कोई नेता इसमें शरीक नहीं होंगे. अखिलेश यादव ने मीडिया को अपने शामिल न होने की जानकारी भी दी थी. ये परिचर्चा नई दिल्ली के विज्ञान भवन में होने जा रही है.
इसरो द्वारा रविवार को छोड़े गए दो ब्रिटिश सेटेलाइट अपनी कक्षा में पहुंच गए हैं. आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा​ स्थि​त सतीश धवन स्पेस सेंटर से इसरो ने अपने कैरियर पीएसएलवी-सी42 से इन्हें अंतरिक्षा भेजा.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट करके इसके लिए इसरो को बधाई भी दी.
इस अभियान के लिए शनिवार से ही 33 घंटे का काउंटडाउन शुरू हो गया था. इन सेटेलाइट को चार चरणों में छोड़ा गया था.
ये सेटेलाइट जंगलों की मैपिंग और किसी तरह की आपदा की निगरानी का काम करेंगी.
शराब कारोबारी विजय माल्या के ख़िलाफ़ सीबीआई जल्दी दूसरी चार्जशीट दायर कर सकती है. इस चार्जशीट में कुछ बैंक अधिकारियों का नाम भी शामिल हो सकता है.
विजय माल्य पर बैंकों से कर्ज लेकर उसे न चुकाने का आरोप है. ये चार्जशीट  करोड़ का कर्ज न चुका पाने के मामले में दाख़िल की जाएगी. जिन बैंकों से कर्ज लिया गया था उनमें इसमें स्टेट बैंक सहित 17 शामिल हैं.
पिछले साल सीबीआई ने विजय माल्य के ख़िलाफ़ पहली चार्जशीट दायर की थी जो आईडीबीआई बैंक से 900 करोड़ रूपये का कर्ज न चुकाने से जुड़ी थी.
फ़िलीपींस और हॉन्गकॉन्ग में तबाही मचाने के बाद मैंगकूट तूफ़ान चीन में पहुंच चुका हैं जहां इसके कारण 162 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ़्तार से हवाएं चल रही हैं.
ग्वांगडूंग में सबसे तेज़ तूफ़ान आने का हाई अलर्ट जारी किया गया है. इस तूफ़ान ने हॉन्गकॉन्ग में भी तबाही मचाई जिससे बहुमंजिली इमारतों के साथ और घरों की खिड़की-दरवाज़ों को नुकसान पहुंचा है.
ग्वांगडूंग प्रांत से लगभग 25 लाख लोगों को तूफ़ान के रास्ते से हटाया गया है. हैनन प्रांत में प्रशासन ने हवाई उड़ानें रद्द कर दी हैं. तटों के पास के स्कूल बंद कर दिए हैं. मैंगकूट को साल 2018 का सबसे ख़तरनाक तूफ़ान माना जा रहा है.

Wednesday, September 12, 2018

ऐसी मशीनें बनाने वाली कंपनी अमरीका के प्रोफेसर कोडी फ्रीसे

ऐसी मशीनें बनाने वाली कंपनी अमरीका के प्रोफेसर कोडी फ्रीसेन ने बनाई है.
प्रोफेसर कोडी अमरीका की एरिज़ोना स्टेट यूनिवर्सिटी में मैटीरियल साइंस के एसोसिएट प्रोफ़ेसर हैं. उन्होंने ज़ीरो मास वाटर नाम से कंपनी बनाई है. वो सोलर पैनल की तरह ही हाइड्रोपैनल की मदद से हवा से पानी इकट्ठा करते हैं.
कोडी फ्रीसेन बताते हैं कि उनकी मशीन एरिज़ोना यूनिवर्सिटी में रिसर्च के दौरान बनी थी. बचपन रेगिस्तान में बिताने की वजह से प्रोफ़ेसर कोडी को पानी बचाने की अहमियत का शुरू से ही अंदाज़ा था.
वो कहते हैं कि आज हमें ऐसी मशीन चाहिए जो 15 फ़ीसद ह्यूमिडिटी में भी पानी को हवा से सोख सके.
फिलहाल कोडी ने ये रहस्य उजागर नहीं किया है कि उनकी मशीन कैसे काम करती है. लेकिन वो कहते हैं कि इसमे लिथियम क्लोराइड और ऑर्गेनिक आयन इस्तेमाल किए गए हैं.
सोलर पैनल की तरह इसमें भी बैटरियां लगी होती हैं, जो सूरज की रोशनी से मशीन को चलाती हैं. इसमें एक केमिकल स्पंज लगा होता है, जो हवा में मौजूद नमी को सोखता है.
कोडी की मशीन की लागत क़रीब 4 हज़ार डॉलर है. ये रोज़ाना 3.5 लीटर पानी इकट्ठा कर सकती है. ये आम फ्रिज के मुक़ाबले बहुत कम, क़रीब 100 वाटर बिजली खाती है.
इसके मुक़ाबले डब्ल्यूएफए मशीन 500 वाट बिजली की खपत करती है. प्रोफेसर कोडी की कोशिश ये है कि हर साल बोतलबंद पानी ख़रीदने वाले जितना पैसा पानी ख़रीदने में ख़र्च करते हैं, उससे कम में ये मशीन उनके काम आने लगे.
क्योंकि बोतलबंद पानी से प्लास्टिक का प्रदूषण और दूसरे क़िस्म के प्रदूषण फैलते हैं.
अगर प्रोफ़ेसर कोडी की मशीन सोर्स को पांच साल इस्तेमाल किया जा सके, तो एक लीटर पानी केवल 16 सेंट का पड़ेगा. इससे आधा लीटर की 3 लाख पानी की बोतलों की ज़रूरत कम होगी. अभी सोर्स के ख़रीदार अमरीका और ऑस्ट्रेलिया के ग्रामीण इलाक़ों में ज़्यादा हैं.
मशीन को मेक्सिको के स्कूलों, लेबनान के अनाथालय और पुएर्तो रिको के फायर स्टेशन को भी बेचा गया है.
लेकिन, हवा से पानी निकालने वाली एक और मशीन इथियोपिया, टोगो और हैती में प्रयोग की जा रही है. ये है 10 मीटर ऊंचा वार्का टावर.
बांस की मदद से खड़ी की गई ये मीनार पॉलियस्टर का जाल लगती है. इसमें सुबह की ओस क़ैद हो जाती है और रिस कर नीचे रखे टैंक में जमा होती है.
वार्का टावर को इटली के आर्किटेक्ट आर्तुरो विटोरी ने डिज़ाइन किया है. उन्हें इसका आइडिया नासा के लिए चांद पर ठिकाना डिज़ाइन करते वक़्त आया.
पहला वार्का टावर अफ्रीकी देश इथियोपिया में लगाया गया था. जब वहां कोहरे का सीज़न आया, तो इस मशीन से ख़ूब पानी इकट्ठा किया गया.
लेकिन जब बारिश या कोहरा नहीं था, तब भी हवा में नमी से पानी इकट्ठा हो रहा था.
इस टावर को स्थानीय लोगों ने बांस और दूसरी चीज़ों से मिलाकर बनाया. इसमें ताड़ की पत्तियां भी इस्तेमाल की गई थीं. अब हैती और टोगो में भी ये मशीन लगाई जा रही है. विटोरी कहते हैं कि वार्का टावर में आस-पास मिलने वाली चीज़ों से ही पानी को जमा किया जाता है.
रोलां वाल्ग्रीन कहते हैं कि ऐसी बुनियादी तकनीक उन्हीं जगहों पर कारगर होगी, जहां पर हवा में नमी ख़ूब होगी. लेकिन, दुनिया भर में पानी से महरूम 2.1 अरब लोगों तक साफ़ पानी पहुंचाना है, तो वार्का टावर इसमें ज़्यादा मददगार नहीं होगा.
वहीं विटोरी कहते हैं कि एक वार्का टावर से 50 लोगों को पानी मुहैया कराया जा सकता है. इसे तैयार करने में क़रीब 3 हज़ार डॉलर का ख़र्च आता है. बड़ा यानी 25 मीटर लंबा टावर बनाने का ख़र्च क़रीब 30 हज़ार डॉलर बैठेगा, जो 250 लोगों को पानी की सप्लाई कर सकता है. जब हवा में नमी नहीं होती, तो इस टावर के नीचे स्थित टैंक में पानी नहीं जमा होता. सके मुक़ाबले केमिकल स्पंज वाले डेसिकेंट और रेफ्रिजरेटर की तरह काम करने वाली मशीनों से लगातार पानी जमा होता रहता है. हां, इन्हें चलाने के लिए बिजली की ज़रूरत पड़ेगी.
मशीनों से नुकसान होने की संभावना
वैसे तकनीक की दुनिया लगातार बदलती रहती है. कौन जाने, आगे चलकर कोई नई तकनीक ईजाद की जाए. ऐसी मशीन बनाने के लिए अंतरराष्ट्री एक्सप्राइज़ इनोवेशन मुक़ाबले ने 17.5 लाख डॉलर का इनाम भी रखा है.
लोगों के ज़हन में ये सवाल भी है कि कहीं हवा से पानी सोखने से धरती के वाटर साइकिल पर तो असर नहीं पड़ेगा?
कहीं बादल बनने की प्रक्रिया पर तो असर नहीं होगा?
प्रोफ़ेसर कोडी फ्रीसेन इन सवालों को हंसी में उड़ा देते हैं. वो कहते हैं कि अगर धरती पर हर इंसान के पास हवा से पानी निकालने वाली मशीन हो, तो भी हम ट्रैफिक के धुएं में मौजूद पूरा पानी नहीं निकाल सकेंगे.
भले ही हवा से पानी सोखने के ये नुस्खे अभी अजीब लग रहे हों, मगर जिस तरह से ज़मीन के भीतर मौजूद पानी का स्तर घट रहा है, उस स्थितिमें हमें बहुत जल्द पीने के पानी के नए स्रोत की ज़रूरत होगी. ऐसे में डब्ल्यू एफ ए जैसी तकनीक में उम्मीद नज़र आती है.